कुछ कही और बहुत कुछ अनकही...कुछ सुनी और बहुत कुछ अनसुनी...जीवन की गाड़ी कुछ स्टेशनों पर रूकती और बहुत से स्टेशनों को छोड़ते हुए ...चली जा रही है जैसे अपनी मंजिल पर रुक के ही दम लेगी...इस यात्रा का भाग बनिए और लघु कथाओं और व्यंगचित्रों का आनंद लीजिये ... इस स्टेशन पर बस कुछ ही पल रुकना है...जब जी चाहे ...
मैं हूँ मि. आरोपी राम आरोप लगाना मेरा काम।
ReplyDeleteअपने आप को कहकर अच्छा करता मैं सबको बदनाम।।
जो भी अड़ंगे में फंस जाता खरी खोटी खूब सुनाऊँ।
मैं सब पर आरोप लगाकर भ्रष्टाचारी कहकर बुलाऊँ ।।
जनता पसंद बहुत है करती मेरे डायलॉगों पर मरती ।
जिस निकम्मे को है कुछ बनना मेरी पार्टी में हो जाओ भर्ती ।।
मैंने सबको बेवकूफ बनाया जनता ने मुझे सी एम बनाया।
विरोधियों को खूब छकाया गाली सूना सूना कर पकाया ।।
जब जनता का काम हुआ ना लोकपाल का बहाना बनाया।
अपनी ही सरकार गिराई विपक्षियों पर आरोप लगाया ।।
मैं हूँ मि. आरोपी राम आरोप लगाना मेरा काम।
अपने आप को कहकर अच्छा करता मैं सबको बदनाम।।
अब मुझको पी एम बनवा दो ऊँचा करूँगा देश का नाम।
सबकी मैं इन्क्वायरी करवाकर विपक्ष का कर दूंगा काम तमाम ।।
दुश्मन देश पर आरोपों की विदेश नीति होगी भयंकर।
पाकिस्तान भी मुझसे डरकर बस जाएगा अंटार्टिका जाकर ।।
अमेरिका की हिम्मत क्या है ओबामा भी थर थर कांपे।
मेरे आरोपों से डरकर डालर रूपये से है नापे ।।
हम दुनिया से नहीं डरेंगे विदेश कर्जे सब माफ़ करेंगे।
मैं लगाऊंगा आरोप ऐसे ऐसे फिरेंगे सारे हांफे हांफे ।।
मैं हूँ मि. आरोपी राम आरोप लगाना मेरा काम।
अपने आप को कहकर अच्छा करता मैं सबको बदनाम।।
महंगाई डरकर भागेगी मेरे आरोपों से कांपेगी।
कर दूंगा मैं नींद हराम मैं हूँ मि. आरोपी राम ।।