हरियाली दिवाली

अभी कुछ दिनों पहले उ.प्र. पुलिस के एक सिपाही ने अपनी बुधिमत्ता एवं आत्मविश्वास का परिचय देते हुए, जब उसकी बन्दूक ख़राब हो गयी तो उसने अपने मुँह से ही गोलियों की आवाज निकालनी शुरू करदी और बदमाशों को भगा दिया /
अब जबकि हम हरियाली दिवाली की बात कर रहे है और पटाखों पर सीमित प्रतिबन्ध लगाने की बात कर रहे है तब क्यों ना हम अपने बच्चो को भी मुँह से ही ठाय ठाय करने की प्रैक्टिस करवा दें/ 
जहाँ एक तरफ हम सभी प्रदूषित वातावरण से परेशान हैं वहीँ पटाखों पर पूर्ण प्रतिबन्ध अथवा आंशिक प्रतिबन्ध भी हमें कहीं परेशान करता है/ इसका समाधान भी समाज के ही वर्गों से निकलेगा/  

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