“बड़ी मनहूस है ये लड़की” “इस लड़की की तो छाया से भी भगवान बचाए…” “पैदा होते ही बाप को खा गयी..” इस तरह की बातें सुन सुन कर रिया बड़ी हुई ...उसकी माँ ने बड़ी मेहनत कर, रिया को पढाया..लिखाया .. माँ, मैं बड़ी हो आपको दुनिया दिखाउंगी पर माँ को तो अपने कर्त्तव्य का पालन करना था..एक अच्छा लड़का मिलते ही उसने रिया के हाथ पीले कर दिये… रिया के पति एक बहुत अच्छे इंसान थे...लगा कि रात की कालिमा समाप्त हुई और भोर सा उजाला रिया और उसकी माँ के जीवन में आ गया है..बस माँ को दुनिया घुमाने कि इच्छा बस रिया के मन में ही रह गयी... भगवान् तो रिया की और परीक्षा लेना चाहता था...एक पल की ख़ुशी और मीलों लम्बा दुःख माँ एक खुश कर देने वाली फ़ोन कॉल का इन्तजार कर ही रही थी कि फ़ोन बजा... माँ, आप मुन्ना की नानी बन गए...इसके पहले कि उसकी माँ ईश्वर को धन्यवाद देती रिया ने जो बताया उसने माँ के होश उड़ा दिए . क्या!!! मुन्ना देख नहीं सकता . . माँ का भरोसा अब उठ चुका था भगवान से और उसकी बनाई दुनिया से भी… और एक दिन माँ भी उठ गयी..जाते जाते वो अपनी आँखें मुन्ना को दान कर गयीं मां, आप चले गए अपना आशीर्वाद मुन्ना को दे कर...पर...